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इस दुनिया में भी यही बात है। यदि हमारे पास कुछ नहीं है, और पड़ोसियों के पास भी कुछ नहीं है, तो हमें कभी कुछ महसूस नहीं होगा। लेकिन जैसे ही हमने देखा कि उनके पास कुछ है, ओह... तब हम कहते हैं, “वाह, मैं क्यों नहीं?” फिर हम खुद को परेशान करने लगते हैं, हम चीजों की इच्छा करने लगते हैं। और फिर हम काम करने, पैसा कमाने, और पड़ोसियों के पास जो चीजें हैं उनके लिए भी खुद को बेचने की कोशिश करने लगते हैं। […] यह सच है, क्योंकि अगर हम शांति पाना चाहते हैं तो हमें कुछ त्याग करना होगा। हमें किसी न किसी चीज के बिना ही रहना होगा, क्योंकि इस दुनिया में, हमारे पास कभी भी पर्याप्त चीजें नहीं होतीं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे पास कितना है। है न? हमारे पास अभी भी पर्याप्त नहीं है, या शायद हम भूल गए हैं। […] तो, मैं आपको बताती हूं कि आपके पास कभी भी पर्याप्त शिकायतें नहीं होंगी। इसलिए, आपके पास जो कुछ भी है, उससे संतुष्ट रहना बेहतर होगा। […]इसके अलावा, सच कहूं तो मेरे पास कोई कार्यालय भी नहीं था। यह कार्यालय पिछले वर्ष ही बना है। तो खैर, हर चीज़ 10 साल बाद आती ही है। तो, देखिए, आपको 10 साल तक अभ्यास जारी रखना होगा, और फिर आपके पास मेरी तरह सब कुछ होगा। तो, शिकायत मत करो। देखा? मुझे 10 साल से भी ज्यादा समय तक अभ्यास करना है, और मुझे इन 10 सालों के दौरान हजारों लोगों को अभ्यास करने में मदद करनी है। और फिर मैं उस छोटे से पुण्य को संचित करती हूँ, और फिर मेरे पास बहु-रंग, बहु-प्रकार क्रेयॉन। आप देखें? तो, आपने सिर्फ 10 दिन अभ्यास किया, शिकायत मत कीजिए। […]Photo Caption: सौंदर्य, सद्गुण और सत्य तक पहुंचना!